Why We Celebrate Christmas क्रिसमस का त्योहार #festival ईसाई धर्म का मुख्य त्योहार है। जिसका मुख्य रुप से बच्चों को पूरे साल #yea इंतजार रहता हैं। क्रिसमस ईसा मसीह या यीशु के जन्म #Birth की खुशी में मनाया जाने वाले त्योहार है।
25 दिसंबर (25 December) को पूरी दुनिया के ज्यादातर देशों में इस त्योहार#Festival को पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
आपको बता दें कि साल 336 ईसवी में रोम में सबसे पहले क्रिसमस डे (Christmas Day) मनाया गया था। क्रिसमस के दिन लोग केक काटते हैं, एक-दूसरे को गिफ्ट देते हैं और पार्टी कर इस त्योहार का जश्न मनाते हैं।
क्रिसमस एक ऐसा त्योहार है, जिसे न सिर्फ विदेशों में धूमधाम से मनाया जाता है, बल्कि भारत में भी इस फेस्टिवल को लेकर लोगों में काफी उत्साह रहता है और इसे लोग न्यू ईयर #Newyear तक मनाते हैं। यह त्योहार प्रेम और सोहार्द की मिसाल कायम करता है।
आइए जानते हैं क्रिसमस क्यूँ मनाया जाता हैं#Interesting fact about christmas
क्रिसमस की कहानी
एक बार ईश्वर ने ग्रैबियल #Gabriela नामक अपना एक दूत मैरी नामक युवती के पास भेजा। ईश्वर के दूत ग्रैबियल #Gabriela ने मैरी को जाकर कहा कि उसे ईश्वर के पुत्र को जन्म #Birth देना है। यह बात सुनकर मैरी चौंक गई क्योंकि अभी तो वह कुंवारी थी, सो उसने ग्रैबियल से पूछा कि यह किस प्रकार संभव होगा? तो ग्रैबियल ने कहा कि ईश्वर सब ठीक करेगा। समय बीता और मैरी की शादी जोसेफ नाम के युवक के साथ हो गई। भगवान के दूत ग्रैबियल जोसेफ के सपने में आए और उससे कहा कि जल्द ही मैरी गर्भवती होगी और उसे उसका खास ध्यान रखना होगा क्योंकि उसकी होने वाली संतान कोई और नहीं स्वयं प्रभु यीशु हैं। उस समय जोसेफ और मैरी नाजरथ जोकि वर्तमान में इजराइल का एक भाग है, में रहा करते थे।
उस समय नाजरथ रोमन साम्राज्य का एक हिस्सा हुआ करता था। एक बार किसी कारण से जोसेफ और मैरी बैथलेहम, जोकि इस समय फिलस्तीन में है, में किसी काम से गए, उन दिनों वहां बहुत से लोग आए हुए थे जिस कारण सभी धर्मशालाएं और शरणालय भरे हुए थे जिससे जोसेफ और मैरी को अपने लिए शरण नहीं मिल पाई। काफी थक−हारने के बाद उन दोनों को एक अस्तबल में जगह मिली और उसी स्थान पर आधी रात के बाद प्रभु यीशु का जन्म हुआ। अस्तबल के निकट कुछ गडरिए अपनी भेड़ें चरा रहे थे, वहां ईश्वर के दूत प्रकट हुए और उन गडरियों को प्रभु यीशु के जन्म लेने की जानकारी दी। गडरिए उस नवजात शिशु के पास गए और उसे नमन किया।
यीशु जब बड़े हुए तो उन्होंने पूरे गलियों में घूम−घूम कर उपदेश दिए और लोगों की हर बीमारी और दुर्बलताओं को दूर करने के प्रयास किए। धीरे−धीरे उनकी प्रसिद्धि चारों ओर फैलती गई। यीशु के सद्भावनापूर्ण कार्यों के कुछ दुश्मन भी थे जिन्होंने अंत में यीशु को काफी यातनाएं दीं और उन्हें क्रूस पर लटकाकर मार डाला। लेकिन यीशु जीवन पर्यन्त मानव कल्याण की दिशा में जुटे रहे, यही नहीं जब उन्हें कू्रस पर लटकाया जा रहा था, तब भी वह यही बोले कि ‘हे पिता इन लोगों को क्षमा कर दीजिए क्योंकि यह लोग अज्ञानी हैं।’ उसके बाद से ही ईसाई लोग 25 दिसम्बर यानि यीशु के जन्मदिवस को क्रिसमस के रूप में मनाते हैं।#Kuchinteresting #Why We Celebrate Christmas
कौन है सांता क्लॉज ?
आज क्रिसमस पर्व का मतलब सांता क्लॉज बन चुका है, जो कि लाल-सफेद ड्रेस में लंबी सी सफेद दाढ़ी और लंबे बाल रखकर और अपने कंधों में बच्चों के लिए चॉकलेट और गिफ्ट्स से भरा बैग लटकाए हाथों में क्रिसमस बेल लिए आते हैं। और फिर बच्चों को उपहार देते है और उन्हें खुशी से जीवन जीने का आशीर्वाद देते हैं।#Interesting
सांता क्लॉज का बच्चे पूरे साल इंतजार करते हैं, वहीं सांता को क्रिसमस फादर भी कहा जाता है। क्योंकि बच्चें को पूरा भरोसा होता है कि क्रिसमिस के पावन पर्व पर उनके प्यारे सांता अंकल आएंगे और उन्हें चॉकलेट्स और गिफ्ट्स #gift देंगे। वहीं ज्यादातर स्कूलों में इस मौके पर खास क्रार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। वहीं सांता क्लॉज के बिना क्रिसमस की कल्पना अधूरी है।
संत निकोलस थे सांता के जनक
वहीं आज से डेढ़ हजार साल पहले जन्मे संत निकोलस, जो कि तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, उनको असली सांता और सांता का जनक भी माना जाता है।
दरअसल संत निकोलस को भी बच्चों से खास लगाव था और वह बच्चों को गिफ्ट्स देते थे। और उस समय लोगों के मन में संत निकोलस के प्रति काफी आदर भाव था। वहीं उसी समय से सांता क्लॉज की कल्पना की जाने लगी।
हालांकि संत निकोलस और जीसस के जन्म का कोई सीधा संबंध नहीं रहा है, लेकिन फिर भी आज के समय में सांता क्लॉज क्रिसमस का अहम हिस्सा हैं। उनके बिना मानो क्रिसमस पर्व ही अधूरा है।
विद्दानों के मुताबिक संत निकोलस का जन्म तीसरी सदी में जीसस की मौत के 280 साल बाद मायरा में हुआ था और वे एक सुखी और संपन्न परिवार से थे।
जिन्होंने अपने बचपन में ही अपने माता-पिता को खो दिया। और बचपन से ही उनकी प्रभु ईसा मसीह में गहरी आस्था थी, और इसी वजह से वे बड़े होकर ईसाई धर्म के पादरी (पुजारी) और बाद में बिशप बने।
ईसा मसीह एक दरियादिली और नेक इंसान थे, जिन्हें जरूरतमंदों और बच्चों को गिफ्ट्स देना बेहद पसंद था।आपको बता दें कि संत निकोलस ज्यादातर गिफ्ट्स आधी रात को ही देते थे।
क्योंकि वो नहीं चाहते थे कोई उन्हें उपहार देते हुए कोई देखे अर्थात उन्हें गुपचुप तरीके से ही बच्चों को गिफ्ट देना पसंद था इसलिए आपने अक्सर पेरेंट्स को यह कहते सुना होगा कि अगर जल्द नहीं सोओगे तो सांता क्लॉज उन्हें गिफ्ट देने नहीं आएंगे।
वहीं क्रिसमस ट्री को सजाने के पीछे एक पौराणिक कथा भी है
सदाबहार वृक्ष को सजाकर क्रिसमस का सेलिब्रेशन किया जाता है, उनकी यह परम्परा जर्मनी से शुरु हुई जिसमें एक बीमार बच्चे को खुश करने के लिए उसके पिता ने सदाबहार वृक्ष को सुंदर तरीके से सजाकर उसे गिफ्ट दिया।
इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि जब जीजस का जन्म हुआ तब खुशी व्यक्त करने के लिए सभी देवताओं ने सदाबहार के पेड़ को सुंदर तरीके से सजाया और तब से ही क्रिसमस ट्री का प्रतीक समझा जाने लगा और क्रिसमस ट्री को सजाने यह परंपरा प्रचलित हो गई।
आपको यह भी बता दें कि क्रिसमस ट्री को सजाने की शुरुआत सबसे पहले बोनिफेंस टुयो नामक एक अंग्रेज ने की थी। यह पहली बार जर्मनी में दसवीं शताब्दी के बीच शुरु हुआ था।#interesting fact about christmas
इतिहास क्रिसमस ट्री का
प्रेम#love और सोहार्द का त्योहार क्रिसमस पर सबसे ज्यादा महत्व क्रिसमस ट्री का होता है। वहीं इस दिन पेड़ों को सजाने की परंपरा सालों से चली आ रही है।
आपको बता दें कि क्रिसमस ट्री जीवन की निरंतरता का प्रतीक माना जाता था। वहीं क्रिसमस ट्री के बारे में यह भी कहा जाता है कि क्रिसमस ट्री को जीवन की निरंतरता का प्रतीक माना जाता है।
इसके बारे में ऐसी भी मान्यता है कि क्रिसमस ट्री को सजाने से बच्चों की आयु लंबी होती है। इसी वजह से क्रिसमस डे पर क्रिसमस ट्री को सजाया जाने लगा है।
क्रिसमिस ट्री को सजाने के लिए पहले से ही लोग तैयारी करते हैं और इसमें लाइटिंग लगाकर सजाते हैं। आपको बता दें कि कई हजार साल उत्तरी यूरोप में इसकी शुरुआत की गई थी।
जब क्रिसमस के मौके पर सदाबहार के पेड़ ट्री को सजाया गया था। वहीं इसे चेन की मद्द से घर के बाहर लटकाया जाता था। वहीं ऐसे लोग जो पेड़ को खरीदने में असमर्थ थे। वे लकड़ी को पिरामिड आकार देकर सुंदर तरीके से सजाते थे।
जर्मनी में पहली बार क्रिसमस ट्री पर लगाए गए सेब:Why We Celebrate Christmas
क्रिसमस को क्रिसमस पर सजाने की परंपरा जर्मनी से शुरु हुई। वहीं 19 वीं शताब्दी में क्रिसमस ट्री को इंग्लैंड में भी सजाया जाने लगा फिर धीरे -धीरे अन्य कई देशों में क्रिसमस को सजाने की परंपरा को निभाया गया और इस तरह आज क्रिसमस के दिन क्रिसमस ट्री को सजाना एक ट्रेंड बन गया है।Why We Celebrate Christmas
आपको बता दें कि क्रिसमस ट्री को सजाने और इसमें खाने की चीजें रखने का रिवाज सबसे पहले जर्मनी में ही शुरु हुआ था। जब इसमें सोने में वर्क में लिपटे सेब, जिंजरब्रेड से सजाया गया।
प्रभु यीशु के जन्म पर देवदूत ने मां मरियम को गिफ्ट किया था सदाबहार फर:
क्रिसमस ट्री का संबंध
यह भी मान्यता है कि क्रिसमस ट्री का संबंध ईसाई धर्म के प्रमुख प्रभु ईसा मसीह के जन्म से भी है। वहीं जब उनका जन्म हुआ था तब उनके माता-पिता मरियम एवं जोसेफ को बधाई देने वाले देवदूत भी शामिल थे।Why We Celebrate Christmas
जिन्होंने सितारों से रोशन सदाबहार फर को उन्हें गिफ्ट किया। तब से ही सदाबहार क्रिसमस फर के पेड़ को क्रिसमस ट्री #Tree के रूप में मान्यता मिली परिवार के सदस्य मिलकर सजाते हैं क्रिसमस ट्री:
क्रिसमस के फेस्टिवल से ईसाई धर्म के लोग लकड़ी से क्रिसमस ट्री तैयार करते हैं और फिर इसे डेकोरेट करते हैं।#Why We Celebrate Christmas
वहीं इसमें ज्यादातर मोमबत्तियां और टॉफियां, घंटी और अलग-अलग रंग के रिबन का इस्तेमाल कर इसे सुंदर तरीके से सजाते हैं। वहीं माना यह भी जाता है इसे घर में रखने से बुरी आत्माएं दूर होती हैं। और सकारात्मा ऊर्जा का प्रवाह होता है।
क्रिसमस से कई दिन पहले ही इसकी तैयारियां शुरु हो जाती हैं, ईसाई समुदाय द्धारा कैरोल्स गाए जाते हैं और प्रार्थनाएं की जाती हैं। इसके साथ इस दिन पूरी दुनिया में चर्च को विशेष तरह से सजाया जाता है और पूरी दुनिया के गिरजाघरों में यीशु की जन्मगाथा को झांकियों के रुप में प्रर्दशित किया जाता है और भक्तिभावपूर्ण गीत गाए जाते हैं।
और 24-25 दिसंबर (24 & 25 December)के बीच रात को दूसरे दिन सुबह से ही जन्मदिन का समारोह होता है। गिरिजाघरों में क्रिसमस ट्री भी सजााया जाता है। इस दिन चर्च में खासी रौनक रहती है।
क्रिसमस त्यौहार से जुड़ी दिलचस्प बातें
वर्ल्ड के सबसे फेमस फेस्टिवल में से एक क्रिसमस का त्यौहार आ चुका है। क्रिसमस पर बाजार क्रिसमस ट्री और रंग बिरंगी लाइटस से सज चुकी है। क्रिसमस क्यों मनाया जाता है ये तो हम सब जानते है। इसदिन ईसा मसीह का जन्म दिन मनाया जाता है।
क्रिसमस दुनियाभर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है कई देशों में इस दिन हॉलीडे होता है। लोगों अपने परिवार, दोस्तों के साथ अलग-अलग तरह से इस त्यौहार को सेलिब्रेट करते है। हालांकि क्रिसमस हर देश में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। चलिए आपको बताते है।
क्रिसमस से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें – Interesting fact about Christmas Why We Celebrate Christmas
- क्रिसमस को सेलिब्रेट करने की शुरुआत इंग्लैंड शुरु हुई थी।
- क्रिसमस यानि 25 दिसंबर के दिन गॉड जीसस का जन्मदिन मनाया जाता है। हालांकि जीसस के जन्म की असल तारीख का कोई प्रमाण मौजूद नहीं है। इसदिन दुनियाभर में मौजूद सभी चर्चों को सजाया जाता है और जीसस का बर्थडे सेलिब्रेट किया जाता है।
- क्रिसमस पर संता क्लॉज नाम का कैरेक्टर काफी फेमस है। लेकिन दिलचस्प बात ये है कि संता क्लॉज का ईसा मसीह के जन्म से कोई ताल्लुक नहीं है। कई लोग संता क्लॉज को ईसा मसीह का पिता मानते है। हालांकि कई कहानियों के अनुसार चौथी सदी में तुर्किस्तान के एक शहर में
- संत निकोलस नाम के व्यक्ति हुआ करते थे जिनके नाम पर संता क्लॉकज का चलन शुरु हुआ। ये संत गरीब बच्चों को गिफ्ट बांटा करते थे।
- इस दिन के बाद सांता क्लॉज का महत्व बढ़ा। बच्चों के अंदर ये धारणा है कि संता उनके लिए गिफ्ट, चॉकलेट और खिलौने बांटते हैं।
- दुनियाभर में क्रिसमस 25 दिसंबर को सेलिब्रेट किया जाता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जर्मनी में क्रिसमस 24 दिसंबर को मनाया जाता है।
- ब्रिटेन में क्रिसमस का अगला दिन बॉक्सिंग डे के रुप में सेलिब्रेट किया जाता है इसदिन को फीस्ट ऑफ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है।
- क्रिसमस पर क्रिसमस ट्री का भी खास महत्व है रिपोर्टस के अनुसार यू.एस में हर साल 24 और 25 दिसंबर (24 & 25 December) को 18 सौ (1800) से ज्यादा क्रिसमस ट्री बिकती है।
- अमेरिका क्रिसमस के मौके पर 20 हजार से ज्यादा लोग संता क्लॉज बनते है और बच्चों को गिफ्ट बांटते हैं।
- क्रिसमस ट्री के बारे में माना जाता है कि ईसा मसीह का जन्म येरुशलम के अस्तबल में क्रिसमस ट्री के नीचे हुआ था और यही पर स्वर्ग से दूतों ने आकर उनके माता पिता को शुभकामनाएं दी थी। जिस वजह से हर साल क्रिसमस पर ट्री को लाइटों से सजाया जाता है। Why We Celebrate Christmas
सामाजिक पर्व बन गया है क्रिसमस
क्रिसमस अब सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं रहा बल्कि इसने सामाजिक पर्व का रूप धारण कर लिया है तभी तो अब सभी समुदायों के लोग बढ़−चढ़कर इसे मनाते हैं और आपस में खुशियां बांटते हैं। क्रिसमस हंसी−खुशी का त्यौहार है इस दिन विश्व भर के गिरजाघरों में प्रभु यीशु की जन्मगाथा की झांकियां प्रस्तुत की जाती हैं और गिरजाघरों में प्रार्थना की जाती है। क्रिसमस को सभी ईसाई लोग मनाते हैं और आजकल कई गैर ईसाई लोग भी इसे एक धर्मनिरपेक्ष, सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मनाते हैं। बाजारवाद ने भी इस पर्व के प्रचार में बड़ी भूमिका निभाई है। क्रिसमस के दौरान उपहारों का आदान−प्रदान, सजावट का सामान और छुट्टी के दौरान मौजमस्ती के कारण यह एक बड़ी आर्थिक गतिविधि भी बन गया है।Why We Celebrate Christmas