संजा के गीतों में मालवा की प्यारी महक!

आपणो प्यारो मालवों ☺,संजा का गीत, संजा के गीतों में मालवा की प्यारी महक
इकि खुशबू चारी तरफ संस्कृति ,तीज त्यौहार,रीत रिवाज के साथ राजी ख़ुशी से सबका मन ने भावे ।
आज जो पोस्ट डालिरी हूँ वा बचपन की याद है जो आजतक भी जैसी के जैसी दिमाग और मन में बैठी वी है
(श्राद्ध पक्ष में 16 दिन तक रोज लड़कियां दिवालो पर गाय के गोबर से आकृतियां बनाती है जो संजा कहलाती है,संजा इन 16 दिनों तक अपने पीहर (मायके)में सखियों के साथ है। रोज नई आकृतियां,रोज शाम को आरती,रोज गीतों की गूंज फिर प्रसाद के साथ समापन। और 17 वे दिन विसर्जन)

(1 )
पहली आरती
दूसरी आरती
तीसरी आरती
संजा जीमेल ,चुठले
जिमाऊ सारी रात
चट्टक चांदनी की रात
फुल्ला भरी है परात
एक फुल्लो टूटी गयो ने
संजा माता रुसगी

(2)
संजा बाई का लाड़ा जी
लुगाड़ो लाया जाड़ा जी
असा कई लाया दारिका
लाता गोट किनारी का
संजा बाई तो ओल पोल
लुगड़ो लाया झोल पोल..☺

एक एक पत्ती चुठी जाय

(3)
संजा के पीछे मेंदी को झाड़,मेंदी को झाड़
एक एक पत्ती चुठी जाय, चुठी जाय
उधर से आयो मामो मामो
मामो लायो जरी की साड़ी
मामी लाइ मेथी
मेथी से तो माथो दुखे घी का घेवर भावे☺☺

(4)
अणि क़ुड़ा( कुआ) पे कुण कुण पोथी बाचेरे भम्मरिया
अणि क़ुड़ा पे चाँद सूरज वीरों पोथी बांचे रे भम्मरिया
चाँद सूरज भायो तो यूँ के
की म्हाने झमक सी लाडी लइदो रे भम्मरिया
झमक सी लाडी ने ओढ्ता नई आवे ,पेरता नी आवे
संजा ननद ने बुलई दो रे भम्मरिया
संजा ननद को ऊंचो नाक,नीचो नाक
अटलक टिकी,वटलक टिकी
मोत्यां से मांग भरई दो रे भम्मरिया।।

(5)
छोटी सी गाडी लुढ़कती जाय,लुडकती जाय
जिमें बैठ्या संजा बाई ,संजा बाई
घाघरो घमकाता जाय
चुड़लो चमकता जाय
बाई जी की नथनी झोला खाय
बाईजी म्हने झुलों सिखाई दो।

Interesting संजा के गीतों में मालवा की प्यारी महक!

(6)
संजा तो मांगे हरो हरो गोबर
कहाँ से लाउ भई हरो हरो गोबर
किसान घरे जऊं
व्हां से लाउं
ले भई संजा हरो हरो गोबर,
संजा तो मांगे
लाल पीला फुलड़ा
कहाँ से लाऊं भई
हरा पीला फुलड़ा
माली घरे जऊ
व्हां से लऊं
ले भई संजा हरा पीला फुलड़ा।
संजा तो मांगे
दूध पतासा
कहाँ से लउं भई
हलवाई घरे जाऊ
व्हां से लाउं
के भई संजा
दूध पतासा

(7)
गाड़ी नीचे जीरो बोयो
सात सहेल्यां जी,
अणि जीरा की साग बनाई
सात सहेल्यां जी
साग बनाई ने वीरा जी ने मेलि
सात साहेल्या जी
विराजी के म्हणे खाटी खाटी लागे
सात सहेल्यां जी
वाई खीर मैं भैस ने दे दी
सात सहेल्यां जी
भैस ऐ लई म्हने दुधडो दी दो
सात सहेल्यां जी
अणि दूध की खीर बनाई
सात सहेल्यां जी
खीर बनाई ने वीरा जी ने मेली
सात सहेल्यां जी
वीरा जी के म्हणे मीठी मीठी लागे
सात सहेल्यां जी ,
वीरा जी ले म्हने चुनर ओढाई
सात सहेल्यां जी
चुन्नड़ ओडी पाणी चाल्या
सात सहेल्यां जी
पाणी चाल्या काटों भाग्यो
सात सहेल्यां जी
काटो भाग्यो खून निकल्यो
सात सहेल्यां जी
खून निकल्यो चुनर से पूछ्यो
सात सहेल्यां जी
चुनर के तो धब्बा पड़ग्या
सात सहेल्यां जी
वाई चुनर में धोबी ने दी दी
सात सहेल्यां जी
धोबी इ लई म्हने धोई धोई दे दी
सात सहेल्यां जी
वाई चुनर में रंगरेज ने दे दी
सात सहेल्यां जी
रंगरेज लाइ म्हने रंगी रंगी देदी
सैट सहेल्यां जी।

काजल टिकी लो भई

(8)
काजल टिकी लो भई
काजल टिकी लो
काजल टिकी लई ने म्हारी
संजा बाई ने दो
संजा बाई को सासरो सांगा में
पदम्पधारया बड़ी अजमेर
राम थारी चाकरी गुलाम म्हाको देस
छोडो म्हाकी चाकरी
पधारो आपका देस….।

(9)
मैं गोबर ले के सड़क पे खड़ी
मुझे बतलादो संजा की गली…2
अजी वई हे गली
अजी वई हे गली
जहाँ पीपल का पेड़ अनार की; कली।
मैं फुलवा ले के सड़क पे खड़ी..
………..
मैं प्रसाद ले के सड़क पे खड़ी..

(10)
संजा तू थारे घर जा
की थारी बाई मारेगा के कुटेगा
के डेली में डचोकेगा
के चाँद गयो गुजरात
के हिरन का बड़ा बड़ा दाँत
के छोरा छोरी डरपेगा
के कुत्ता कुत्ति भसेगा
के छोरा छोरी डरपेगा।।

(11
संजा तू बड़ा बाप की बेटी
तू खाय खाजा रोटी
तू पेरे माणक मोती
रजवाड़ी चाल चाले
मालवा री बोली बोले
संजा सेवरो ले….
माथे बेवडो रे…

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