गरबा में क्यों बजाते हैं तीन तालियां? Garba me kyo bajate hai 3 taliyan नवरात्री शुरू होते ही देशभर में गरबा और डांडिया रास का रंग चारों ओर बिखरने लगता है। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए जगह-जगह गरबा नृत्य और डांडिया रास का आयोजन किया जाता है। युवक युवतियां खूबसूरत पारंपरिक पोशाक, और डांडियों की खनक नवरात्र के इस माहौल को और भी खुशनुमा बना देते हैं।
हर राज्य में नवरात्रि के दौरान गरबा खेला जाता है, इसके लिए लोग दिनों पहले से नृत्य खेलने की तैयारी करने लगते हैं। इस नृत्य का इतनी जल्दी इतने फेमस होने का एक कारण यह भी है कि, गरबा के दौरान जिन स्टेप्स को फॉलो किया जाता है, वह काफी आसान होती हैं, इन्हें कोई भी व्यक्ति आसानी से सीख सकता है। इसे करने में आनंद और उत्साह बढ़ता जाता है।
क्यों बजाते हैं तीन तालियां?
अगर आप पहले गरबा खेल चुके हैं, तो आपने एक और समान स्टेप पर ध्यान दिया होगा। यह स्टेप देखने में तो इतनी सामान्य होती है कि, इसका महत्व पर हमारा ध्यान ही नहीं जाता। इस स्टेप को ‘तीन ताली’ कहते हैं। क्या आप जानते हैं कि गरबे में एक या दो ताली का नहीं बल्कि तीन ताली को ही क्यों महत्व दिया गया है। तो आज हम आपको बताएंगे इसके पीछे की मुख्य वजह।
3 तालियों का प्रयोग
गरबा नृत्य के दौरान आपने देखा होगा कि महिलाएं 3 तालियों का प्रयोग करती हैं। ये 3 तालियां इस पूरे ब्रह्मांड के त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश को समर्पित होती हैं। गरबा नृत्य में ये तीन तालियां बजाकर इन तीनों देवताओं का आह्वान किया जाता है।
गरबा में बजाई जाने वाली तीन तालियों का महत्व निम्न है
पहली ताली का महत्व
गरबा में पहली ताली ब्रम्ह यानि इच्छा से संबंधित है। ब्रह्मा की इच्छा तरंगों को ब्रहमांड के अंतर्गत जागृत किया जाता है। यह मनुष्य की भावनाओं और इच्छाओं का समर्थन करती है।
दूसरी ताली का महत्व
दूसरी ताली का संबंध विष्णु भगवान से होता है। विष्णु रूपी तरंगे मनुष्य के भीतर शक्ति प्रदान करती है।
तीसरी ताली का महत्व
तीसरी ताली का संबंध शिव भगवान से है। शिव रूपी ज्ञान तरंगें मनुष्य की इच्छा पूरी कर उसे फल प्रदान करती हैं। ताली की आवाज से तेज निर्मित होता है और इस तेज की मदद से शक्ति स्वरूप मां अंबा जागृत होती है। ताली बजाकर इसी तेज रूपी मां अंबा की अराधना की जाती है।
नवरात्र के 9 दिन
नवरात्र के 9 दिन में मां को प्रसन्न करने के उपायों में से एक है नृत्य। शास्त्रों में नृत्य को साधना का एक मार्ग बताया गया है। गरबा नृत्य के माध्यम से मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए देशभर में इसका आयोजन किया जाता है।
गरबा का शाब्दिक अर्थ है गर्भ दीप। गर्भ दीप को स्त्री के गर्भ की सृजन शक्ति का प्रतीक माना गया है। इसी शक्ति की मां दुर्गा के स्वरूप में पूजा की जाता है।
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